अवधेश सिंह की सिद्ध विशेषज्ञता से मिलें

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The Man who matter you most ……

वह आदमी जो आपके लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है……

मिलिए अवधेश सिंह से – कवि, कहानीकार, स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता

प्रोत्साहित करना और सफल बनाना एकमात्र उद्देश्य है …..

आपका भाग्य आपका भविष्य नहीं है, ताकत अंदर से आती है । आत्म संतोष , अधिकतम प्रयास का परिणाम है । चुके नहीं , खड़े हों । यह बल्ब ऑन का समय…अप्प दीपो भव: अपना प्रकाश स्वयं बनो ।

खुद को समझें

इमेज बिल्डिंग

डिजिटल पब्लिसिटी

डिजिटल प्रबंधन

अपने विषय में – सब्जी मंडी से मंडी हाउस तक का सफर

शब्द यात्रा

अब तक 10 पुस्तकें प्रकाशित हुईं हैं , 200 से ज्यादा लेख प्रकाशित ।

व्यावसायिक उपलब्धियां

37 वर्ष का कड़ा अनुभव तकनीकी , प्रबंधन , सूचना तकनीकी , मार्केटिंग , लीगल आदि विभाग से संबद्धता , नयी पहल , वैचारिक क्रांति के साथ साहित्य समाज और पर्यावरण का समावेश

सुविख्यात श्रेष्ठ विशेषज्ञ व्यक्तियों की टिप्पणी ….

मीडिया पर अवधेश सिंह कि कवितायें प्रभावकारी हैं ,“ रेप कि खबर के साथ छपी है मर्दाना दवा के इश्तिहार “ या “आज का अखवार है कार्पोरेट बाजार” अपील –सहजता – सीधा समय के साथ संवाद करती रचनाएँ है । पाठक को इन कविताओं से सीधा जुड़ाव मिलता है ।.. …….पुस्तक ठहरी बस्ती ठिठके लोग [ 2015 ] के संबंध में टिप्पणी

डॉ० राम दरस मिश्र साहित्य अकादेमी भारत सरकार की उपाधि प्राप्त विख्यात पुरस्कृत साहित्यकार , नयी दिल्ली

सामाजिक कार्यकर्ता एवं कवि लेखक श्री अवधेश सिंह की पुस्तक ‘जब दुनिया ठहर गयी’, हमें एक ऐसी त्रासदी से परिचित कराती है जिसके अंधेरों से हम गुजरे तो हैं पर जिसके विभिन्न आयामों, सूत्रों को हम समझ नहीं पा रहे। आखिरकार तूफान सी भागती ये दुनिया क्यों ठहर गई। यह ठहराव किन बातों या खतरों का सूचक है? यह कब तक ठहरी रहेगी? इसके ठहरने के परिणाम क्या है? क्या इस त्रासदी में मानवता के लिए कोई संदेश है? क्या इसके निहितार्थ बहुत गहरे हैं और हमारी नियति की ओर गंभीर संकेत कर रहे हैं?…..

अनिल कुमार शर्मा ‘जोशी’ उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल,शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार

अवधेश सिंह के कविता संग्रह “छूना बस मन” ने प्रेम के माधुर्य को विशेष गरिमा प्रदान की है। कवि की प्रेम के प्रति गहरी अनुभूति “अभिव्यक्ति” को उद्दात रूप प्रदान करती है। यहाँ प्रेम अपनी कलात्मक और कोमल स्वरुप में प्रतिबिंबित होता है। संग्रह की पहली कविता “प्यार में कुछ तो होता है खास …” को प्रेम के दस व्यापक बिन्दुओं पर सीधी अभियक्ति है और प्रिय की सुंदरता को कवि ने यह कह कर कि “तुम्हे देख लगा / गजलों की मैंने देखी / पहली रूमानी किताब” पर कवि ने सोंदर्य वर्णन की पराकाष्ठा को छुआ है। …….

डॉ० कुँअर बेचैन प्रख्यात साहित्यकार ग़ज़ल कार

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